Sunday, August 21, 2011

AADAB-ARZ

मीठा सा दर्द होता है, कभी  यादा कभी कम
तेरे प्यार का है असर, या है कोई दर्द-ए-ग़म
बरसात तो नहीं मगर, बदला-सा है मौसम
दिल की ज़मीं पे बरसी है प्यार की शबनम
शैलेश, जयपुर (राजस्थान)

ख़ामोश गुज़र जाते हैं वो क़रीब से
सवाल उठते हैं दिल में अजीब से
वो ख़फ़ा हैं या ये उनकी है अदा
शिकायत क्या करें अपने नसीब से
विशाल जैन, छतरपुर (छत्तीसगढ़)

कौन कहता है, उसके बिना मैं मर जाऊंगा
मैं तो दरिया हूं, सागर में उतर जाऊंगा
वो तरस जाएंगे प्यार की इक बूंद के लिए
मैं बादल की तरह किसी पर भी बरस जाऊंगा
निकुंज आशर, सिवनी (मध्यप्रदेश)


कोई कहता है जिंदगी जीने का नाम है
कोई कहता है जिंदगी पीने का नाम है
दोस्तों ये सब नजर-नजर का खेल है
जिंदगी जख्मों से भरे सीने का नाम है।
नरेंद्र तायवाड़े, राजनांदगांव (छग)

चलो तस्कीद कर लें अब अपनी बात की।
आने वाली फिर इक नई मुलाकात की।
सुना है मौसमे बहार भी आने को है।
दास्तां कोई सुना रहा चांदनी रात की।
अमर मलंग, कटनी (मप्र)

बेवफा नहीं हूं तो कैसे दिल तोड़ जाऊंगा
सूरज की किरण हूं यूं चमक छोड़ जाऊंगा।
वादा नहीं करता जिंदगी ये कर्जदार है
न जाने किस मोड़ पर सांसें छोड़ जाऊंगा।
पंकज आशिया, सोजत सिटी (राज.)
  खामोश रहकर क्यूं हमें जलाते हैं वोअपनी यादों से हमें क्यूं रुलाते हैं वो।तस्वीर भी नहीं है मेरे पास उनकीतो क्यूं बंद आंखों में नजर आते हैं वो।
ज्ञानेश्वर गेण्डरे, सिमगा, रायपुर (छग)
यूं पड़ रही है चांदनी उनके शबाब परजैसे शराब खुद ही फिदा हो शराब पर।उसके बरक-बरक को उड़ा ले गई हवामैंने तुम्हारा नाम लिखा जिस किताब पर।
उमाश्री, होशंगाबाद (मप्र)
हथेलियों पर उनका नाम जब लिखती हैं उंगलियांजमाने की चारों तरफ उठती हैं उंगलियां।बड़े मुद्दतों के बाद आया उनका हाथ मेरे हाथों मेंआज भी उन हसीन लम्हों को याद करती हैं उंगलियां।
उमेश गोस्वामी, सिमगा (छग)




इरादों को मकसद बना कर तो देखोकुछ राज हैं जो बताए नहीं जातेकुछ आंसू हैं जो दिखाए नहीं जाते।हम बदनसीब किसी को याद नहीं आतेआप वो खुशनसीब जो भुलाए नहीं जाते।
अजहरुद्दीन कुरेशी, सरवाड, अजमेर (राज.)
मुश्किलों में जो साथ हुआ करते हैंहम उनके हक में भी दुआ करते हैं।उम्मीद उन लोगों से भला क्या करना जिनके दरवाजों पर पहरे हुआ करते हैं।
अमर मलंग, कटनी (मप्र)
निगाहों में सपना सजा कर तो देखोइरादों को मकसद बना कर तो देखो।किनारे पर रहकर किसे क्या मिला हैजरा बीच सागर में जाकर तो देखो।





विष भरा अमृत घटों में, है जलन-सी छांव में।फिर वफा ने मात खाई, बेवफा के गांव में। चल रहे थे साथ दोनों, रहगुजर भी एक थीअब अकेले ही खड़े हैं जख्म लेकर पांव में?
अविनाश बागड़े, खामला, नागपुर (महाराष्ट्र)
नूपुर-नूपुर रसमय तन है।आज बहुत थकने का मन है। सांसों की यमुना में डूबेंभीतर भी एक वृंदावन है।
उमाश्री, होशंगाबाद (मध्यप्रदेश)
वो खुद नहीं जानते वो कितने प्यारे हैंजान हैं हमारी, हमें जान से प्यारे हैं दूरियों के होने से क्या फर्क पड़ता हैवो कल भी हमारे थे आज भी हमारे हैं।
पूनम शर्मा, रायपुर (छत्तीसगढ़)



लबों से छूके वो ताजा गुलाब देता है
कि जैसे फूल में भरकर शराब देता है
चलो वो कहता है तुम साथ मेरे खजुराहो
मैं चुप रहूं तो दुपट्टा जवाब देता है।

उमाश्री, होशंगाबाद (मप्र)

उसकी याद में हम बरसों रोते रहे
बेवफा वो निकले बदनाम हम होते रहे
प्यार में मदहोशी का आलम तो देखिए
धूल चेहरे पे थी हम आईना धोते रहे।

सुरेश कुमार मेघवाल, कोछोर, सीकर (राज)

रिश्तों में वो पहले वाली बात नहीं रही
दिल में संजो लें ऐसी सौगात नहीं रही
मोहब्बत विज्ञापन या प्रोडक्ट बन गई है
दीवाना कर दे ऐसी मुलाकात नहीं रही।

सुधा गुप्ता अमृता, कटनी (मप्र)




पास आपके दुनिया का हर सितारा हो
दूर आपसे गम का किनारा हो
जब भी आपकी पलकें खुलें सामने वही हो
जो दुनिया में सबसे प्यारा हो।

कु. रागिनी तायवाड़े, राजनांदगांव (छग)

तमाम ख्वाब देखे एक और देखना है
कभी रूबरू जब होंगे जी भरके देखना है
हम तो हंसते मुस्कराते हुए जी रहे हैं
बस इसी दीवानगी का असर देखना है।

उर्मिला यादव, भोपाल (मप्र)

सपना किसी भी आंख के अंदर नहीं मिलता
शोले धधक रहे हैं समंदर नहीं मिलता
मुट्ठी में रख सके जो मुकद्दर को बांध के
इस दौर में ढूंढे तो सिकंदर नहीं मिलता।

अविनाश बागड़े, नागपुर (महाराष्ट्र)




क्यों मरते हो यारो सनम के लिए
न देगी दुपट्टा कफ़न के लिए
मरना है तो मरो वतन के लिए
तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए
करण जैन जिगर, उदयपुर (राजस्थान)

........................

मां की एक दुआ ज़िंदगी बना देगी
ख़ुद रोएगी, मगर तुमको हंसा देगी
कभी भूलकर भी मां को मत रुलाना
एक छोटी सी बूंद पूरी धरती हिला देगी
अशोक कुमावत, मंदसौर (मप्र)


.......................

जहां पेड़ों पर आज चार दाने लगे हैं
हर तरफ़ सबके निशाने लगे हैं
पढ़ाई -लिखाई का मौसम कहां है
किताबों में ख़त आने जाने लगे हैं।
-समीर उत्साही-रायपुर (छग)

विष्णु प्रसाद चौहान, ढाबला, हरदू (मप्र)




जिंदगी एक अभिलाषा है,
क्या अजीब इसकी परिभाषा है
जिंदगी क्या है मत पूछो ए दोस्तो,
संवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा है।

शिवांगी सिंह, नई दिल्ली

आज सोचा सलाम भेजूं
आप मुस्कुराएं ऐसा पैग़ाम भेजूं।
कोई फूल तो मुझे मालूम नहीं
जो ख़ुद गुलशन है उसे क्या गुलाब भेजूं।




मेरी मोहब्बत मेरी खता बन गई
ये दीवानगी मेरी सजा बन गई।
उनकी मासूमियत पर फिदा हुए इस तरह
उन्हें पाने की तमन्ना जिंदगी की अदा बन गई।

विशाल जैन, घुवारा, छतरपुर (मप्र)

वो दिल चुराके दिल अपना छुपाए जाते हैं
खिलौने जैसा वो मुझको सजाए जाते हैं।
लबों पे जबसे लिखा उसने मेरे ताजमहल
हैं यमुना इश्क़ की और हम नहाए जाते हैं।

उमाश्री, होशंगाबाद (मप्र)

 


राहुल सिंगला, पटिलाया

तमन्नाओं में भी आपको याद करेंगे
आपकी हर बात पर ऐतबार करेंगे।
आपको फोन करने को तो नहीं कहेंगे
पर आपके फोन का इंतजार करेंगे।

सुरेश कुमार, जालंधर

दोस्त ने दोस्त को गुलाब भेजा है
तारों ने आसमान से पैगाम भेजा है
ए हवा जाकर कह दो भूल जाने वालों से
याद करने वालों ने सलाम भेजा है।

सोनू कुमारी सोनी, एसबीएस नगर

प्यार देने से प्यार मिलता है,
प्यार से ही करार मिलता है।
दोस्ती नाम है निभाने का,
बड़ी मुश्किल से यार मिलता है।

दलवीर सोलंकी, बरनाला

अरमान सारे जाग उठे ख्वाब-ए-नाज से
अब तो आकर मिलो हमसे, उसी अंदाज से।
इंतजार में हैं आज भी उदास सूनी गलियां
चले आना फिर कभी दिल की आवाज से।

अमरजीत शर्मा, बठिंडा



सखियों से मेरी बातें किया करते हैं, जिंदगी से हमारी हमेशा खेला करते हैं। जमीन पर मेरा नाम लिखते और मिटाते हैं, उनका गुजरता वक्त है, हम मिट्टी में मिल जाते हैं।

प्रदीप तम्बोली, प्रतापगढ़ (राज.)

नफ़रतों की नहीं कोई बयार है नारी, मां की ममता है, बहन का प्यार है नारी। ये नए रिश्तों को बखूबी निभा लेती, आन पे बन आए तो तलवार है नारी।

अमर मलंग, कटनी (मप्र)

कुछ लोग जरा-सा सबर नहीं रखते इंसान पहचानने की नजर नहीं रखते चीर तो सकते हैं पहाड़ों का सीना हम सच बोलने का मगर जिगर नहीं रखते।

नरेंद्र तायवाड़े, राजनंदगांव (छग)



एक हस्ती है जो जान है मेरी
जो आन से भी बढ़कर मान है मेरी।
खुदा हुक्म दे तो कर दूं सजदा उसे
क्योंकि वो कोई और नहीं मां है मेरी।

गौरव जोशी, धार (मप्र)


थक सा गया है
मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे तो
हम इज़हार नहीं करते।

अजीत, रांची (झारखंड)


आज भी उसका इंतजार है
तस्वीर उसकी दिल में बरकरार है।
वह नहीं आता है
उसकी यादों की ही भरमार है।

गफूर ‘स्नेही’, उज्जैन (मप्र)



तुम्हे भुलाने की हर कोशिश मेरी न जाने क्यों नाकाम रही ऐसा उलझा हूं यादों में तेरी न सुबह रही मेरी, न मेरी शाम रही
ब्रजलाल ईमने, नेपानगर बुरहानपुर (मप्र)
ख्वाबों की हर एक गली देखी बाग़ों में खिलती हर एक कली देखी जो कहते थे, कभी न भूल पाएंगे उसी के घर अपनी तस्वीर जली देखी।
ज्ञानेश्वर गेंडरे, सिमगा (छत्तीसगढ़)
वो चल पड़े होंगे अपने घर से महक उठा गरीबख़ाना इस खबर से और कब तक इंतज़ार किया जाए पूछ रही हैं नज़रें, हर इक नज़र से
अमर मलंग, कटनी (मप्र)




छोटे से दिल में ग़म बहुत है
जिंदगी में मिलते जख्म बहुत हैं
मार डालती हमें कब की ये दुनिया
दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है।

विशाल जैन, घुवारा (मप्र)

माना कि हर घर ताज नहीं होता
हर थोबड़ा मुमताज नहीं होता
तेरे लटके-झटकों में न पड़ता मैं
तो इस तरह बेरोजगार नहीं होता।

बलवीर सिंह, सीकर (राजस्थान)

कसूर न उनका था न मेरा
हम दोनों ही रिश्तों को निबाहते रहे
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे
और हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे।

आन वर्मा, रैवांसी सीकर(राजस्थान)